करवा चौथ पर गीत- उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट
जीवन हो उनका मंगलमय, कभी न उनके लगें खरोचें
करवा चौथ मनाती हैं जो, वे अपने पति का हित सोचें।
इस दुनिया में पति से बढ़कर, कोई कहीं न होता दूजा
उसको ही भगवान मानकर, करती हैं वे उसकी पूजा
पति की सेवा में जो तत्पर, कभी न वे उसका धन नोचें
करवा चौथ मनाती हैं जो, वे अपने पति का हित सोचें।
इस व्रत के पीछे सदियों से, चलती आई एक कहानी
देख चंद्रमा को पत्नी फिर, पति के हाथों पीती पानी
बढ़ता प्यार खूब आपस में, उनके बीच न लड़तीं चोचें
करवा चौथ मनाती हैंं जो, वे अपने पति का हित सोचें।
झगड़ा होता नहीं कभी जब, फिर क्यों चले मुकदमेंदारी
क्यों तलाक की नौबत आए, और मचे क्यों मारा-मारी
तालमेल हो संभव तब ही, समाधान में हों जब लोचें
करवा चौथ मनाती हैं जो, वे अपने पति का हित सोचें।
सब आनंदित होते घर में, अपनापन जब रहता जारी
धन- दौलत की कमी नहीं हो, लगे न फिर कोई बीमारी
जीवन के पथ पर जो बढ़ते, उन चरणों में क्यों हों मोचें
करवा चौथ मनाती हैं जो, वे अपने पति का हित सोचें।
रचनाकार -उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट
'कुमुद -निवास'
बरेली (उत्तर प्रदेश)
मोबा.- 98379 44187
Suryansh
16-Oct-2022 07:34 PM
लाजवाब लाजवाब लाजवाब बहुत ही खूबसूरत रचना
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Punam verma
14-Oct-2022 08:49 AM
Nice
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Abhinav ji
14-Oct-2022 08:26 AM
Very nice
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